चाणक्य एक महान विद्वान पंडित थे । उन्हें नीतियों में महारत हासिल था । उसने एक अपमान पे पूरा साम्रज्य को एक बालक के सहारे जीत लिया था हम बात कर रहे है चन्द्रगुप्त मौर्य का जिसने पुरे मगध पे शासन किया ।
चाणक्य (Chanakya)
एक अनपढ़ व्यक्ति का जीवन उसी तरह से बेकार है जैसे की कुत्ते की पूँछ, जो ना उसके पीछे का भाग ढकती है ना ही उसे कीड़े-मकौडों के डंक से बचाती है।
आदमी अपने जन्म से नहीं अपने कर्मों से महान होता है।
शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है।
शिक्षा सौंदर्य और यौवन को परास्त कर देती है।
जैसे एक बछड़ा हज़ारो गायों के झुंड मे अपनी माँ के पीछे चलता है।
उसी प्रकार आदमी के अच्छे और बुरे कर्म उसके पीछे चलते हैं।
अगर सांप जहरीला ना भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए।
व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले मर जाता है; और वो अपने अच्छे और बुरे कर्मों का फल खुद ही भुगतता है; और वह अकेले ही नर्क या स्वर्ग जाता है।
इस बात को व्यक्त मत होने दीजिये कि आपने क्या करने के लिए सोचा है,
बुद्धिमानी से इसे रहस्य बनाये रखिये और इस काम को करने के लिए दृढ रहिये।
” सबसे बड़ा गुरु मंत्र, अपने राज किसी को भी मत बताओ। ये तुम्हे खत्म कर देगा। ”
हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है। ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो।
यह कड़वा सच है।
“जिस आदमी से हमें काम लेना है, उससे हमें वही बात करनी चाहिए जो उसे अच्छी लगे।
जैसे एक शिकारी हिरन का शिकार करने से पहले मधुर आवाज़ में गाता है।”
चाणक्य के सर्वश्रेष्ठ विचार
संकट में बुद्धि भी काम नहीं आती है।
जिस प्रकार एक सूखे पेड़ को अगर आग लगा दी जाये तो वह पूरा जंगल जला देता है,
उसी प्रकार एक पापी पुत्र पुरे परिवार को बर्वाद कर देता है।
सेवक को तब परखें जब वह काम ना कर रहा हो, रिश्तेदार को किसी कठिनाई में,
मित्र को संकट में, और पत्नी को घोर विपत्ति में।
आग में आग नहीं डालनी चाहिए। अर्थात क्रोधी व्यक्ति को अधिक क्रोध नहीं दिलाना चाहिए।